वैद्य योगेश देव पाण्डेय की कलम से –
मीरजापुर। प्राचीन ऋषि मुनि जब आयुर्वेद ज्योतिष शास्त्र अन्य शास्त्रों की रचना कर रहे थे तब उन्होंने उस समय ऐसी चमत्कृत बातों का वर्णन किया है जो आज के लिए सदैव आश्चर्य का विषय रहा है। जब हमारे ऋषि मुनि चिकित्सा विज्ञानी संसाधन सम्पन्न नहीं थे हजारों लाखों वर्ष पूर्व ही उन्होंने आश्चर्य पूर्ण बात अपने ग्रन्थों में कह दिया था, किंतु उन्ही ग्रन्थों के द्वारा आज के परिणाम सिद्ध हो कर नए – नए अनुसंधान निश्चित रूप से संभव हो पा रहे हैं। आज विज्ञान कितना भी चमत्कार कर ले लेकिन वह बातें ढूंढ कर उनका आधार कभी नही ला सकता जो ऋषि-मुनियों ने शोध किया है। आज तो शोध के ऊपर शोध हो रहे हैं। इसी प्रकार से प्राचीन शोधकर्ता वैज्ञानिक अनुसंधान कर्ता चरक ,सुश्रुत, शारंगधर, वाग्भट्ट ,वराहमिहिर ,आर्यभट्ट ,पराशर, ऋषि आदि उदाहरण है। ज्योतिष एवं आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र में बहोत से आश्चर्य वर्णित है कि रोगी के घर से जब कोई व्यक्ति किसी वैद्य चिकित्सक या ज्योतिषी को उपचार उपाय हेतु उपायकर्ता को बुलाने के लिए जाता था तो उसे दूत कहा जाता था। दूत और शकुन विचार भी बड़ा महत्वपूर्ण विषय है, किंतु आज के परिवेश में आधुनिकता के प्रभाव में प्राचीन बातों को हम लगभग-लगभग भूल ही चुके होंगे। आयुर्वेद शास्त्रों में और ज्योतिष से संबंधित विषयों का वर्णन है जिसमें स्वप्न का एक विशेष अध्याय है की व्यक्ति किस प्रकार का स्वप्न देखता है कि उसे क्या समस्याएं होती हैं या कौन सा ऐसा स्वप्न देखता है कि उसकी समस्याओं का निदान स्वयं होने वाला है यहाँ तक वर्णन है कि व्यक्ति कौन सा स्वप्न देखेगा की उसे कौन सा रोग होगा या होने वाला है इस प्रकार से ऐसा पूर्वानुमान हो जाता था यह बात लोगों को कम जानकारी में है किंतु यह भी एक विषय रुचिकर है। रोग की साध्य और असाध्य होने का लक्षण भी उसका रहस्य स्वप्न में छिपा होता है। जब कोई व्यक्ति रात्रि विश्राम करता है तो ऐसा नहीं है कि उसे कभी कोई सपना नहीं आता है। जब भी किसी व्यक्ति को रात्रि स्वप्न आए तो उसे यह बात पता है कि शास्त्रों में इसका परिणाम लिखा है और इसके बारे में लिखा है तो अपने अनुमान के आधार पर अपने ही बारे में भी जाना जा सकता है यह बड़ी बात है।
जैसे:- यदि किसी को रात्रि के स्वप्न में कोई नग्न व्यक्ति दिखे ,सर मुंडाया हुआ लाल या काला कपड़ा पहना हुआ, दिखे, अपंग कोई व्यक्ति विकार युक्त काला रंग का ,पशु आदि बांधने का रस्सी लिया हो, किसी भी प्रकार का शस्त्र लिया हो,किसी को बांधता हुआ, प्रहार करता हुआ, दक्षिण दिशा की ओर जाता हुआ,भैंस ,ऊंट ,गधे आदि पर चढ़ा हुआ ऐसे स्वप्न जो कोई भी स्त्री अथवा पुरुष स्वप्न में देखता है तो वह यदि स्वस्थ है तो रोग को प्राप्त होता है या रोग की सूचना का पूर्वानुमान है और इसी प्रकार का स्वप्न को यदि कोई रोगी देखता है तो उसकी मृत्यु संभाव्य है। यह बात आज वहां लागू होती है विशेष रूप से जब व्यक्ति चिकित्सालय सघन चिकित्सा के अंतर्गत हो। इसी प्रकार जो अपने स्वप्न में किसी ऊंचे स्थान से गिरते हुए, यानी पानी में डूब जाते हुए,अग्नि में पतंगों की तरह समा जाते हुए, कुत्ते से आघात प्राप्त होते हुए, मछली, मगर ,जंतुओं के द्वारा निगले जाते हुए,अपने आंखों से दीपक के बुझ जाने को देखता है या तेल या शराब पीता है, लोहा,तिल या अनाज प्राप्त कर रहा है अर्थात किसी से माँग रहा हो तो वह मनुष्य रोग को प्राप्त होता है। इस स्थिति में भी रोगी के लिए अच्छी सूचना नहीं होती है अर्थात यमलोक जाने की सूचना प्राप्त होती है। इस प्रकार के स्वप्न को देखने के पश्चात उपाय का भी प्रावधान है कि कुछ ऐसी स्थितियां होती है कि उपाय आदि करने पर समस्याएं बहुत बड़ी है तो छोटी हो जाती है या सामान्य है तो समाप्त हो जाती है। जैसे कि अशुभ इस प्रकार के सपनों को देखने पर मनुष्य किसी को इन्हें बताए नहीं और प्रातः प्रातः ही स्नान करके सुवर्ण, तिल, और लोहा का दान करें मंदिर में फिर देवताओं के स्त्रोत पाठ आदि को करें तथा सम्भव हो तो रात में देव मंदिर में वास करें इसी क्रम में शुभ सपनों का भी विशेष वर्णन आया है की स्वप्न में जो व्यक्ति देवों, राजाओं,मित्रों, ब्राह्मणों, गायों को जीवित अवस्था में देखा है, जलती हुई आग, तीर्थ स्थान ,आदि देखता है तो वह व्यक्ति सुख को प्राप्त करता है और जो स्वप्न में नदी समुद्र आदि के मैले कुचैले जल को तैर कर पार कर लेता है तो वह अपने शत्रुओं को जीत लेता है अर्थात शत्रु रूपी रोगों को जीत लेता है। महल (अच्छे भवन) बैल,पर्वत, हाथी,आदि वाहनों पर चढ़ा हुआ अपने को देखता है तो वह सुखी हो जाता है। जो व्यक्ति स्वप्न में सफेद फूल तथा वस्त्र कच्चे मांस ,मछली, फल इनको प्राप्त करता है ग्रहण करता हुवा दिखाई पड़ता है यदि रोगी है तो स्वस्थ्य होने लगता है और जो व्यक्ति स्वप्न में अपने को जहां जिस स्थान पर नहीं जाना चाहिए ऐसे स्थान पर गया हुआ दिखता है या किसी स्त्री के साथ संग प्रसंग करते हुवे, गंदगी मल मुत्रों से लिप्त अपनें शरीर को देखता है खूब रोते हुवे, या किसी मरे हुवे तथा कच्चा मांस खाते हुवे देखे तो वह शीघ्र ही अच्छा होने लगता है,धन सहित शुभ संदेश प्राप्त होता है। यदि कोई स्वप्न में जोंक, भँवरे, ततैया, सांप, मक्खी,मच्छर आदि को अपनें को काटता हुवा देखता है तो वह धन को प्राप्त करता है या रोगी है तो शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
इस प्रकार से अनेकों उदाहरण शुभ अशुभ सपनों के बारे में चिकित्सा ग्रंथों ज्योति ग्रंथों आदि में वर्णित हैं जिसकी जानकारी होनें से हर वह व्यक्ति अपनें बारे में शुभ अशुभ व रोगों के होने व स्वस्थ्य होनें का पूर्वानुमान लगा सकता है।
नाड़ी निदान केंद्र
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द्वारा – आयुर्वेद विश्व उद्योग मीरजापुर
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( यहाँ पर हमारा उद्देश्य मात्र विलुप्त हो रही नाड़ी के द्वारा रोग निदान की प्राचीन विद्या नाड़ी परीक्षण तथा आयुर्वेद वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के तहत घरेलू उपाय प्राकृतिक उपचार परामर्श एवं जनहित में आपके लिए जानकारी उपलब्ध कराना एक मात्र उद्देश्य है )
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धन्यवाद
आपका शुभेच्छु
लेखक/संकलक
वैद्य योगेश देव पाण्डेय
(नाड़ी एवं वनौषधियोग ज्योतिष चिकित्सा विशेषज्ञ)
वनौषधि पर आधारित उद्यमिता विकास / फॉरेन ट्रेड मेनेजमेंट / ई -बिजनेस प्र0 – सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ( एम एस एम ई ) भारत सरकार।
नोट:- लेखक जनपद मीरजापुर समान्नित प्राचीन वैद्य परिवार का सदस्य है। अपनें अध्ययन व नाड़ी के द्वारा रोग निदान का पैतृक अनुभव ज्ञान से और ज्योतिषचिकित्सा (मेडिकल एस्ट्रोलोजी) आयुर्वेद वनौषधियों के द्वारा घरेलू उपचार का ज्ञान / विशेषज्ञता रखता है, इन विषयों का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ( वाराणसी ) का भी छात्र रहा है।
अवैतनिक जन-हित मे समर्पित है एवं परामर्श हेतु निःशुल्क सेवा प्रदायक है।