लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन चक्र केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव और जन्तु के सहअस्तित्व पर निर्भर करता है। जब धरती पर जीव, जंतु, वनस्पतियां, पानी के स्रोत, तालाब तथा जंगल रहेंगे तो मनुष्य के अस्तित्व के सामने कोई संकट नहीं आएगा। जब भी इस जैव पारिस्थितिकी पर संकट आएगा तो मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। इसी विसंगति को दूर करने के लिए अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह को वन्य प्राणी सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री आज जनपद पीलीभीत के मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस में ‘वन्य प्राणी सप्ताह’ के अवसर पर ‘वन्य जीव संरक्षण और सतत पर्यटन विकास’ विषयक कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित जनसभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 248 करोड़ रुपये की लागत से जनपद पीलीभीत के विकास की 26 परियोजनाओं एवं 05 करोड़ रुपये की लागत से 51 उच्चीकृत वन विश्राम भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ‘सारस गणना रिपोर्ट-2023’, डब्ल्यू0डब्ल्यू0एफ0 इण्डिया एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा संकलित ‘लग्गा-बग्गा कॉरिडोर पुस्तक’ तथा वृक्षारोपण जन अभियान-2023 की ‘कॉफी टेबल बुक’ का विमोचन किया। उन्होंने सेल्फी प्वाइण्ट का अनावरण तथा वृक्षारोपण किया। वन्य जीव प्रदर्शनी तथा वन्य जीवों का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री ने तराई एलीफेण्ट रिजर्व के ‘लोगो’ तथा ‘स्क्रीन’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व को प्राप्त कैट्स अवॉर्ड मुख्यमंत्री को भेंट किया। मुख्यमंत्री ने हर्षित सरकार और निपुण वैरागी को शहद किट का सांकेतिक प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने बाघों की सुरक्षा हेतु बाघ मित्र एप का शुभारम्भ किया। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले बाघ मित्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने वन्य जीव सुरक्षा एवं संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम के उपरान्त मुख्यमंत्री जी ने चूका स्पॉट में जंगल सफारी भी की और प्रकृति के सौन्दर्य का अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषा ने मनुष्य के साथ ही, जीव-जन्तुओं या हर ऐसी वस्तु जिस पर मनुष्य जाति का अस्तित्व टिका हुआ है, को चराचर जगत का हिस्सा मानते हुए उसके संरक्षण पर सदैव से जोर दिया है। हमारे वेदों ने धरती को माता के रूप में सम्बोधित करते हुए माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्या की प्रेरणा दी। अर्थात यह धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उन्हें प्रकृति की गोद में बसे इस महत्वपूर्ण स्थल पर आने का अवसर प्राप्त हुआ है। उत्तर प्रदेश को देश के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक हृदय स्थल के रूप में जाना जाता है। प्रदेश में देश के सर्वाधिक धार्मिक पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। यहां ईको पर्यटन के लिए भी अनन्त सम्भावनाएं हैं। तराई के इस क्षेत्र में कतर्निया, दुधवा, चूका और अमानगढ़ जैसे स्थल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की सामर्थ्य रखते है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में TX2 लक्ष्य (टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले बाघों की संख्या वर्ष 2022 तक दोगुनी करने) प्राप्त करने में हमें सफलता प्राप्त हुई है। यू0एन0डी0पी0, आई0यू0सी0एन0, जी0टी0एफ0, डब्ल्यू0डब्ल्यू0एफ0, सी0ए0टी0एस0 एवं द लॉयन्स शेयर द्वारा संयुक्त रूप से पीलीभीत टाइगर रिजर्व को TX2 के प्रथम ग्लोबल अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया है। वर्ष 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 थी। वर्ष 2018 में बाघों की संख्या 65 होने पर यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश को मिला है। वर्ष 2018 की बाघ गणना में राज्य में बाघों की संख्या 173 थी। प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज इनकी संख्या बढ़कर 205 से अधिक हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामसर साइट के अंतर्गत प्रदेश के 10 वेटलैंड का प्रबन्धन वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश में ऐसे अनेक स्थल हैं जिनकी प्रदेश को ईको टूरिज्म के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यह स्थल पर्यटकों और पर्यावरण प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित कर स्थानीय स्तर पर नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी प्रकृति में असंतुलन पैदा करने का प्रयास होगा तो मानव और वन्य जीवों में संघर्ष की प्रवृत्तियां बढ़ेगी। पहले मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष में जनहानि होने पर किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती थी। हमारी सरकार ने मानव-वन्य जीव संघर्ष को आपदा घोषित किया। किसी भी परिवार का कोई सदस्य इस आपदा की चपेट में आता है तो जनहानि की स्थिति में प्रभावित परिवार को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने वन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि जहां भी इस प्रकार के वन गांव से सटे हुए हैं वहां सोलर फेंसिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करा दी जाए, जिससे वन्य जीवों को बस्ती की ओर आने का अवसर न मिले और इस कारण होने वाली जनहानि, धन हानि अथवा पालतू पशुओं को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वन विभाग द्वारा गांगेय डॉल्फिन को प्रदेश के जलीय जीव के रूप में मान्यता देने की घोषणा की गई है। गांगेय डॉल्फिन जल की शुद्धि के साथ ही, पर्यावरण की शुद्धि में भी बड़ी भूमिका का निर्वहन करती है। हमें इस कार्य के लिए गांगेय डॉल्फिन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्राकृतिक व्यवस्था को किसी भी प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषण से मुक्त रखें। इसके लिए इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वन्यजीवों के प्रति व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्हें गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सभी टाइगर रिजर्व तथा वन्यजीवों से जुड़े आरक्षित क्षेत्रों के प्रत्येक गांव में नौजवानों को गाइड का प्रशिक्षण देते हुए उनके समायोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के साथ जोड़ा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण आज एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है। पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वह प्लास्टिक का प्रयोग करके जल अथवा पर्यावरण को प्रदूषित न करें। पर्यावरण के कारण दुनिया में अनेक संकट खड़े हो गए हैं। यह हम सभी का सौभाग्य है कि विगत 06 वर्षों में उत्तर प्रदेश शासन ने जन सहभागिता के माध्यम से वन विभाग को नोडल विभाग बनाकर 167 करोड़ वृक्षारोपण का विराट लक्ष्य प्राप्त किया है। यह वृहद कार्यक्रम प्रदेश के नए स्वरूप को सबके सामने प्रस्तुत करता है।