कांशीराम की जंयती शनिवार को समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय लोहिया ट्रस्ट में बड़े ही धूमधाम से समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी की अध्यक्षता में मनाई गई। इस अवसर पर गोष्ठी का आयोजन कर उनके पद्चिन्हों पर चलने का आहवाहन किया गया।
इस मौके पर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी ने कहा कि कांशीराम ने दलितों व पिछड़ो के अधिकारों के लिए जो आवाज उठाई, उसकी गूंज आज भी याद की जाती है। 15 मार्च को कांशीराम का जन्मदिन होता है। कांशीराम का जन्म पंजाब के रूपनगर (वर्तमान में रोपड़ जिले) में 15 मार्च 1934 को हुआ था। उन्होंने रोपड़ के शासकीय महाविद्यालय से 1956 में बीएससी की डिग्री हासिल की। बाद में पुणे में स्थित गोला बारूद फैक्ट्री में क्लास वन अधिकारी के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। लेकिन उन्हें जातिगत आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर एक दलित कर्मचारी ने छुट्टी मांगी तो उसके साथ भेदभाव होने के बाद कांशीराम ने दलितों के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया।
कांशीराम डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तरह चिंतक और बुद्धिजीवी नहीं थे लेकिन उनसे काफी प्रभावित थे। कांशीराम ने भारतीय राजनीति और समाज में एक बड़ा परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई। कांशीराम ने आंबेडकर के संविधान को धरातल पर उतारने के लिए काम किया। कांशीराम की आवाज को दबाने के लिए उन्हें नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया।
कांशीराम ने इस विचारधारा का प्रचार किया कि हक के लिए लड़ना चाहिए, गिड़गिड़ाने से हक नहीं मिलेगा।
गोष्ठी व जयंती में मुख्य रूप से पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक यादव, राजेश भारतीय, सुरेन्द्र सिंह पटेल, इन्दु कुमारी, सतीश मिश्रा, रामराज यादव, सियाराम जैसल, बब्बू चमार, सत्य प्रकाश यादव, प्रिन्स राव, जमाल अहमद, मेवालाल प्रजापति, विजय प्रजापति, वन्दना गुप्ता, राहुल यादव, रंजीत फौजी, रवि सोनकर, ऋषिराज यादव, विजय मौर्या, अरशद अली, दीनानाथ प्रजापति, गुलाब प्रजापति, विकाश प्रजापति आदि ने विचार रखें।