जिले की सियासत में इन दिनों हलचल मची हुई है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री और राष्ट्रवादी मंच के संस्थापक अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का माहौल गर्म कर दिया है। मनोज श्रीवास्तव, जो पहले विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़े थे, ने कुछ समय पहले इनसे दूरी बना ली थी। उनकी नीतियों से असहमति और जनहित के मुद्दों पर पार्टी के प्रति नाराजगी को उनकी विदाई का कारण माना गया था। लेकिन तोगड़िया से उनकी हालिया मुलाकात ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उनकी घर वापसी की तैयारी हो रही है? मनोज श्रीवास्तव और डॉ. तोगड़िया की यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक भेंट नहीं मानी जा रही। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मुलाकात भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के भीतर नए समीकरणों की ओर इशारा कर सकती है। क्या मनोज श्रीवास्तव अब फिर से संगठन के साथ अपनी पुरानी भूमिका में लौट सकते हैं? इन सवालों के साथ विरोधी दलों में बेचैनी देखी जा रही है। श्रीवास्तव की मजबूत पकड़ और संगठनात्मक कौशल उन्हें मीरजापुर और आसपास के क्षेत्रों में एक प्रभावशाली नेता बनाते हैं। मनोज श्रीवास्तव का डॉ. तोगड़िया से जुड़ना उनके विरोधियों के लिए चिंता का कारण बन गया है। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और सियासी सक्रियता ने विपक्षी खेमों को नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है। मीरजापुर की जनता जिले की गंदी राजनीति से ऊब चुकी है, वह इस मुलाकात की खबर को लेकर उत्सुक है। लोगों का मानना है कि अगर यह मुलाकात घर वापसी का संकेत है,तो इससे जिले की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। वहीं स्थानीय पत्रकार शशि गुप्ता की फील्ड रिपोर्टिंग के बेस पर कहना है कि जिले में मनोज की अपनी एक अलग ही मृदुल छवि है जो लोगों को प्रभावित करती है जिससे लोग मनोज के प्रति झुके हुए हैं और मनोज लोगों के प्रति। वही राजनीतिक पंडितों का मानना है जिले की डोर अगर एक बार श्रीवास्तव जैसे जनहित सेवा व्यक्तित्व को मिल जाए तो जिले की भ्रष्ट तस्वीर को बदल सकते हैं, अगर इन्हें आगामी चुनावों से पहले सियासी रणनीति का हिस्सा बना दिया जाए। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मनोज श्रीवास्तव अगर जनहित में थोड़ी और कड़ी मेहनत करें तो किसी पार्टी की जरूरत उन्हें नहीं है उनकी अपनी लोकप्रियता ही उनको एक अलग मुकाम पर ले जाएगा। अगर देखा जाए तो डॉ. तोगड़िया और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच हालिया मुलाकातों के संदर्भ में मनोज के लेकर यह पहल किसी बड़ी सियासी योजना का हिस्सा लग रहा है। हालांकि, अभी तक किसी भी पक्ष ने इस मुलाकात पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

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