मीरजापुर – उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति के सभापति इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्थानीय कोर्णांक होटल के सभागार में जनपद जनप्रतिनिधि व जिलाधिकारी के साथ दैवीय आपदा के सम्बन्ध में बैठक कर जनप्रतिनिधिगण की समस्याओ व सुझावों पर चर्चा की गई। बैठक में दैवीय आपदा जाचं समिति के सदस्य अंगद कुमार, पदमसेन चैधरी के अलावा अध्यक्ष जिला पंचायत राजू कनौजिया, विधायक नगर रत्नाकर मिश्र, विधायक छानबे रिंकी कोल, विधायक मझवां सुचिश्मिता मौर्या, जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन, चेयरमैन सहकारिता जगदीश सिंह पटेल, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद श्याम सुन्दर केसरी, ब्लाक प्रमुख पहाड़ी इन्द्र बहादुर पाण्डेय, ब्लाक प्रमुख राजगढ़ गजेन्द्र सिंह, ब्लाक प्रमुख सीखड़ छत्रपति सतेन्द्र सिंह, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 शिव प्रताप शुक्ल, उप जिलाधिकारी सदर गुलाब चन्द्र उपस्थित रहें। बैठक में सभापति इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि दैवीय आपदा के प्रभाव के न्यूनीकरण के लिए विशेष प्रयास किए जाए तथा आपदा प्रभावित पात्र व्यक्तियो को तत्काल सहायता पहुंचाई जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि आपदा के प्रति अधिकारी गम्भीर होकर किसी भी तरह से आपदा से प्रभावित लोगो को तत्काल सहायता पहुंचाई जाए। जनप्रतिनिधिगण के द्वारा उठाए गए इस प्रश्न पर कि बाढ़ व ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त सड़को की मरम्मत के सम्बंध में सभी ने कहा कि बाढ़ व ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त सड़को बाढ़ का पानी हटने के तत्काल 48 घण्टे के अन्दर क्षतिग्रस्त व उस पर आने वाले व्यय का प्रस्ताव बनाकर शासन को अवगत कराया जाए ताकि उसकी मरम्मत हेतु धनराशि आवंटित कर मरम्मत कराया जा सकें। उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रो में घर डूबने की स्थिति में प्रभावित व्यक्तियो पात्र व्यक्तियो को बर्तन व कपड़े आदि की खरीददारी के लिए भी सहायता देने का प्राविधान है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद कृषि भूमि से गाद/बालू निकालने के लिए भी सहायता उपलब्ध कराए जाने का प्राविधान है इसी प्रकार प्रभावित नाविको को सहायता देने का प्रविधान शासन द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त अग्नि काण्ड, बादल फटना, चक्रवात, कीट आक्रमण, आकाशीय विद्युत, आंधी तूफान, लू प्रकोप, नाव दुघर्टना, मानव वन्य जीव द्वंद, (जंगली जानवरो का हमला), कुआं, नदी झील, तालाब पोखर, नहर नाला, गढ्ढा, जल प्रताप डूब कर होकर वाली मृत्यू, सांड़ एवं वनरोज के आघात से होने वाली घटना आदि पर भी राहत देने का प्राविधान दैवीय आपदा के तहत है परन्तु लोगो के जन जागरूकता के अभाव में समय से नही मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित लोगो हेतु सहायता प्राविधानो का विभिन्न तरीको से व्यापक प्रसार करते हुए जागरूक किया जाए ताकि लोगो को उनकी क्षति का मुआवजा प्राप्त हो सकें। प्रभावित क्षेत्रो में सामुदायिक सम्पत्तियों के नुकसान में भी त्वरित सहायता पहुंचाई जाए। आपदा से निपटने के लिए स्थायी उपाय किए जाए। प्रभावित क्षेत्रो में जागरूकता कैम्प में जनप्रतिनिधिगण को भी आमंत्रित किया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि फसलो को हुई क्षति का आकलन तत्काल पूरी पारदर्शिता के साथ कराकर किसानो को सहायता प्रदान कराई जाए। इसी प्रकार भूमिहीन पशुपालको को नियमानुसार पशु हानि का मुआवजा दिया जाए। बैठक में जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बताया कि आपदा से प्रभावित लोगो की सहायता के लिए राजस्व व सम्बन्धित विभाग की टीम सक्रिय रहती है ताकि प्रभावित लोगो को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने की कार्यवाही की जा सकें। उन्होंने कहा कि दैवीय आपदा के मामलो में राहत व बचाव कार्य की त्वरित कार्यवाही की जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि अकाशीय बिजली से बचने व पूर्व सूचना के लिए प्रभावित विकास खण्ड मड़िहान, हलिया व पहाड़ी में 80 स्थानो पर लाइजेस्टिंग अरेस्टर लगाए गए है जिससे लोगो को आकाशीय बिजली की पूर्व सूचना से बचा जा सकता हैं।

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