लखनऊ – प्रदेश के मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व और ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा की कार्यक्षमता के बल पर उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक ऊर्जा की मांग को पूरा करने वाला राज्य बना, वहीं ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 4.0 में भी ऊर्जा व नवीकरणीय ऊर्जा विभाग ने सर्वाधिक 22.50 प्रतिशत का निवेश के साथ प्रदेश में पहले पायदान पर है। प्रधानमंत्री के द्वारा लखनऊ में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 4.0 के दौरान 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं को धराताल पर उतारा गया है, जिसमें से ऊर्जा विभाग के 61,942 करोड़ रूपये के कुल 09 प्रोजेक्ट्स भी शामिल है। वहीं अक्षय ऊर्जा/नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी यूपीनेडा की 182 परियोजनाओं की भी शुरुआत हुई। ये परियोजनाएं 1.30 लाख करोड़ रूपये से अधिक की है। बुंदेलखंड नई ऊर्जा का नया ‘ऊर्जांचल’ बनने जा रहा है। यहां अक्षय ऊर्जा से संबंधित 15 हजार करोड़ रूपये से अधिक की परियोजनाएं धरातल पर उतारी गई, जिससे विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि ‘पावर सरप्लस स्टेट’ भी बनने की राह में आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री मंत्री ए.के. शर्मा के कार्यक्षमता से प्रदेश विद्युत उत्पादन व आपूर्ति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा। प्रदेश में विकास के साथ-साथ ऊर्जा की मांग में भी अनवरत बढ़ोत्तरी हो रही है। ऊर्जा के परम्परागत स्रोत सीमित होने तथा उनके दोहन से पर्यावरणीय प्रदूषण का भी खतरा मंडरा रहा। ऐसे में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने को लेकर प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है। ऊर्जा विभाग के 61,942 करोड़ रूपये के कुल 09 प्रोजेक्ट्स में एनटीपीसी के तीन प्रोजेक्ट : सोनभद्र जिले में अनपरा 2×800 मेगावाट सुपर क्रिटिकल अनपरा ‘ई’ थर्मल पावर प्लांट और 2×800 मेगावाट सुपर क्रिटिकल ओबरा ‘डी’ थर्मल पावर प्लांट। ओबरा के साथ ही सिंगरौली चरण-III, 1600 मेगावाट (2×800) के कुल 51,010 करोड़ रूपये के निवेश को धरातल पर उतरा गया है। वहीं आरईसी लिमिटेड द्वारा मौजूदा थर्मल पावर प्लांटों के आर एंड एम के साथ-साथ ओबरा सी, जवाहरपुर, पनकी एक्सटेंशन की थर्मल पावर परियोजनाओं की स्थापना गयी। जिसकी कुल लागत 4,889.63 करोड़ रूपये है। पीएफसी लिमिटेड द्वारा मौजूदा थर्मल पावर प्लांटों के आर एंड एम के साथ-साथ ओबरा’सी, जवाहरपुर और पनकी की थर्मल पावर परियोजनाओं की स्थापना 2,779.09 करोड़ रूपये की लागत से की गयी है।
गैर समझौता ज्ञापन परियोजनाएं (टीबीसीबी) अंतर्गत टीएचडीसी खुर्जा में 220 केवी एआईएस सबस्टेशन, तिर्वा (कन्नौज) और संबंधित लाइनों और 400 केवी अलीगढ़-शामली के एलआईएलओ का निर्माण 136.59 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है। 400kV मेरठ-शामली ट्रांसमिशन लाइन 164.53 करोड़ रूपये, 220 केवी वाराणसी कैंट, खागा (फतेहपुर), वसुंधरा (गाजियाबाद), 400 केवी एस/एस जेवर, जलपुरा, मेट्रो डिपो (जीबी नगर) और उनकी एसोसिएटेड लाइन्स आदि का निर्माण 1,551.47 करोड़ रूपये से कराया जा रहा है। वहीं 400 केवी गोंडा और 765 केवी मैनपुरी सबस्टेशन और एसोसिएटेड लाइनों का निर्माण 1,409.65 करोड़ रूपये से कराया जा रहा है।
प्रदेश में ऊर्जा मंत्री के प्रयासों के परिणामस्वरूप सौर ऊर्जा, बायोमास और लघु जल विद्युत पर आधारित बड़ी परियोजनाओं की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। प्रदेश में पहले से ही ग्रिड कंबाइंड सोलर पावर जनरेशन और रूफ टॉप पावर जनरेशन की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। अब इस क्षेत्र में होने वाले 1.30 लाख करोड़ रूपये के निवेश से न सिर्फ यूपी अक्षय ऊर्जा का हब बनेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावना भी बढ़ी है।जीबीसी 4.0 में सौर ऊर्जा, बायो ऊर्जा, पम्प्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट (पनबिजली से संबंधित) और ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ी 182 परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की वाहक बनेंगी। यूपीनेडा ने 1.30 लाख करोड़ रूपये की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है।
अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े सेक्टर के तहत सोलर एनर्जी के क्षेत्र में 42 परियोजनाएं ₹55,806 करोड़ का निवेश करेंगी, वहीं बायो एनर्जी से जुड़ी 131 परियोजनाएं ₹7,299.35 करोड़ का इन्वेस्टमेंट होने जा रहा हैं। इसी प्रकार पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पनबिजली से संबंधित) के लिए 8 कंपनियां आ रही हैं, इनकी ओर से ₹66,955 करोड़ का निवेश किया गया। वहीं ग्रीन हाइड्रोजन का एक प्रोजेक्ट भी प्रदेश में लगने जा रहा है। इसके लिए कंपनी की ओर से 150 लाख करोड़ रूपये का निवेश किया गया।
नया ऊर्जांचल बनने की राह पर आगे बढ़ रहे बुंदेलखंड में बड़े प्रोजेक्ट्स की बात करें तो जालौन में एनएचपीसी द्वारा ₹6000 करोड़, चित्रकूट में ₹4000 करोड़ की सौर ऊर्जा और हाइड्रो परियोजना, ललितपुर में ₹5000 करोड़ की परियोजनाएं धरातल पर उतरी हैं। 15 हजार करोड़ रूपये की ये परियोजनाएं प्रदेश के उसी बुंदेलखंड रीजन में लगने जा रही हैं, जिसे आजादी के 70 साल बाद तक प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता रहा है।
वहीं मथुरा में अडाणी समूह की ओर से बायोगैस में 300 करोड़ रूपये की परियोजना और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में नैवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन की ओर से ₹3500 करोड़ की सौर परियोजनाएं धरातल पर उतरी है।

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