नगर में बड़े धूमधाम के साथ जीवित्पुत्रिका की पुजा की गई। जीवित्पुत्रिका व्रत (जितिया) एक प्रमुख हिंदू व्रत है, जो संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। पूजा करने आई चंद्रावती देवी ने बताया कि इस व्रत को करने से संतान दीर्घायु होती है। यह व्रत संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है। यह व्रत पूरे परिवार के कल्याण के लिए भी माना जाता है।


गुंजन गुप्ता ने बताया की व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि को नहाय-खाय से होती है। अष्टमी तिथि को 24 घंटे का कठोर निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। तथा जीवित्पुत्रिका की कथा का पाठ किया जाता है व नवमी तिथि को पारण किया जाता है। गीता केशरवानी ने कहा की जीवित्पुत्रिका की कथा में जीमूतवाहन नामक राजकुमार की कहानी आती है। इस कथा के अनुसार, जीमूतवाहन ने अपनी मां के प्राण बचाने के लिए बहुत बड़ा त्याग किया था। तथा इस कथा का पाठ करने से संतान की रक्षा होती है। सरस्वती देवी ने बताया की यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। यह एक बहुत ही कठिन व्रत माना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

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